‘सबसे भाग्यशाली व्यक्ति’, रामलला मूर्ति प्राण प्रतिष्ठा के बाद बोले मूर्तिकार अरुण योगीराज

मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं”: अरुण योगीराज, वह व्यक्ति जिसने राम लला की मूर्ति बनाई

मैं पृथ्वी पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हूं : अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के लिए भगवान राम की मूर्ति बनाने का कार्य अरुण योगीराज को सौंपा गया था. अरुण योगीराज कर्नाटक के मैसूर शहर के रहने वाले हैं. उनका परिवार पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण का कार्य करता रहा है. अरुण योगीराज ने 11 साल की उम्र से मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया था.

अरुण योगीराज का परिवार पीढ़ियों से मूर्ति निर्माण का कार्य करता रहा है. अरुण योगीराज ने बचपन से ही इस कार्य में रुचि दिखाई और 11 साल की उम्र से ही मूर्ति बनाने का काम शुरू कर दिया. उन्होंने रामायण और अन्य धार्मिक ग्रंथों का अध्ययन किया और भगवान राम के बाल स्वरूप का गहन अध्ययन किया. उन्होंने इस मूर्ति को बनाने के लिए क्वालिटी वाली संगमरमर का इस्तेमाल किया. मूर्ति की ऊंचाई 51 इंच है और इसका वजन 200 किलोग्राम है.

अरुण योगीराज ने मूर्ति बनाने के लिए कई महीनों तक मेहनत की. उन्होंने मूर्ति के हर हिस्से पर बारीकी से ध्यान दिया. उन्होंने मूर्ति में भगवान राम के बाल स्वरूप को बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रूप में दर्शाया है. मूर्ति में भगवान राम की मुस्कुराहट और उनके चेहरे की मासूमियत देखते ही बनती है.

राम लला की मूर्ति का अनावरण 22 जनवरी, 2024 को किया गया था. इस अवसर पर अरुण योगीराज ने कहा कि वे इस धरती पर सबसे भाग्यशाली व्यक्ति हैं कि उन्हें भगवान राम की मूर्ति बनाने का अवसर मिला. उन्होंने कहा कि यह उनके लिए एक सपने के साकार होने जैसा है.

अरुण योगीराज की मूर्ति को लोगों ने बहुत पसंद किया है. लोगों का कहना है कि यह मूर्ति देश की एक ऐतिहासिक विरासत है. यह मूर्ति आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणा का स्रोत बनेगी.

अरुण योगीराज की इस उपलब्धि से उनके परिवार और दोस्तों को बहुत खुशी हुई है. उनके परिवार के सदस्यों का कहना है कि अरुण योगीराज ने देश के लिए एक अनमोल उपहार दिया है. वे इस उपलब्धि के लिए उन्हें बहुत बधाई दे रहे हैं.

अरुण योगीराज एक प्रतिभाशाली मूर्तिकार हैं. उन्होंने भगवान राम की मूर्ति को बहुत ही सुंदर और भावपूर्ण रूप में दर्शाया है. उनकी यह मूर्ति देश की एक ऐतिहासिक विरासत है.

मुझे ऐसा लगता है जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं:

मीडिया से बात करते हुए आगे मूर्तिकार अरुण योगीराज ने कहा ये मेरे पूर्वजों, परिवार के सदस्यों और भगवान राम का आशीर्वाद है. जो मुझे रामलला की मूर्ति बनाने का विशेष अवसर मिला. उन्होंने कहा कि कभी-कभी मुझे ऐसा लगता है. जैसे मैं सपनों की दुनिया में हूं. ‘रामलला की मूर्ति बनाने के बाद सब मुझे पहचानने लगे हैं. सभी बेहद सम्मानजनक तरीके से देखते और मुझसे आगे बढ़कर बात करना चाहते हैं और मेरे अनुभव जानना चाहते हैं.

अरुण ने MBA तक पढ़ाई किई हे:

जानकारी के अनुसार मूर्तिकार अरुण कर्नाटक के रहने वाले हैं. वह मैसूर के जिस परिवार से संबंध रखते हैं उनकी कई पीढियां मूर्ति बनाने का काम कर रही हैं. अरुण ने बताया कि उनके दादा का नाम बसवन्ना था. उन्होंने अपने समय में कर्नाटक के बड़े राजघरानों के लिए मूर्तियां बनाई हैं. इतना ही नहीं उनके पिता योगीराज भी एक बेहतरीन मूर्तिकार है और उनका भी कर्नाटक और मैसूर के बड़े घरानों में काफी नाम है. वैसे अरुण योगीराज ने एमबीए की पढ़ाई की है. पूरी तरह मूर्तिकारी का काम करने से पहले वह एक प्राइवेट कंपनी में काम कर चुके हैं. वह बचपन से ही अपने पिता और परिवार के अन्य लोगों से मूर्ति बनाने का काम सीखते थे.

 

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