अयोध्या में आज से शुरू हो रहा 7 दिन का अनुष्ठान
अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण के बाद, अब प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां जोरों पर चल रही हैं. 16 जनवरी से 22 जनवरी तक सात दिनों तक चलने वाले प्राण प्रतिष्ठा पूर्व संस्कारों की औपचारिक प्रक्रियाएं शुरू होंगी
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व :
प्राण प्रतिष्ठा का अर्थ है, किसी मूर्ति में प्राण का प्रवेश करना. प्राचीन काल से ही यह मान्यता है कि किसी भी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही वह देवता के रूप में पूजनीय हो जाती है.
प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान:
प्राण प्रतिष्ठा के अनुष्ठान में कई तरह की धार्मिक क्रियाएं शामिल होती हैं. इनमें मूर्तियों का निर्माण, मूर्तियों की शुद्धि, मूर्तियों में प्राण का प्रवेश, आदि शामिल हैं.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारियां:
प्राण प्रतिष्ठा के लिए मंदिर परिसर को पूरी तरह से सजाया और संवारा गया है. मंदिर के गर्भगृह को भी विशेष रूप से तैयार किया गया है.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए मूर्तियां:
प्राण प्रतिष्ठा के लिए भगवान राम, माता सीता, भगवान लक्ष्मण, और माता जानकी की मूर्तियां विशेष रूप से बनाई गई हैं. इन मूर्तियों को बनाने में लकड़ी, पत्थर, और अन्य सामग्री का उपयोग किया गया है.
प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम :
प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम है:
दिनांक |
कार्यक्रम |
16 जनवरी |
प्रायश्चित और कर्मकूटि पूजन |
17 जनवरी |
रामलला की मूर्ति का मंदिर परिसर में प्रवेश |
18 जनवरी |
तीर्थ पूजन |
19 जनवरी |
षोडशोपचार पूजन |
20 जनवरी |
षोडशोपचार पूजन |
21 जनवरी |
षोडशोपचार पूजन |
22 जनवरी |
प्राण प्रतिष्ठा |
प्राण प्रतिष्ठा का महत्व :
प्राण प्रतिष्ठा के बाद भगवान राम, माता सीता, भगवान लक्ष्मण, और माता जानकी की मूर्तियां मंदिर में विराजमान हो जाएंगी. इसके बाद भक्तजन इन मूर्तियों का विधिवत पूजन कर सकेंगे.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए तैयारी प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरे देश से भक्तजन अयोध्या पहुंच रहे हैं। मंदिर परिसर में सुरक्षा व्यवस्था कड़ी कर दी गई है.
प्राण प्रतिष्ठा क्या है?
प्राण प्रतिष्ठा का शाब्दिक अर्थ है “प्राण का प्रतिष्ठापन“. प्राचीन काल से ही हिंदू धर्म में यह मान्यता है कि किसी भी मूर्ति में प्राण प्रतिष्ठा के बाद ही वह देवता के रूप में पूजनीय हो जाती है.
प्राण प्रतिष्ठा क्यों की जाती है?
प्राण प्रतिष्ठा करने के कई कारण हैं. पहला कारण यह है कि हिंदू धर्म में मूर्तियों को देवता का प्रतीक माना जाता है . इसलिए, जब किसी मूर्ति का निर्माण किया जाता है, तो उसे देवता के रूप में स्वीकार करने के लिए प्राण प्रतिष्ठा की जाती है. दूसरा कारण यह है कि प्राण प्रतिष्ठा से मूर्ति में पवित्रता आती है. इससे भक्तों का आस्था और श्रद्धा बढ़ती है.
प्राण प्रतिष्ठा कैसे की जाती है?
प्राण प्रतिष्ठा एक लंबी और जटिल प्रक्रिया है. इसमें कई तरह की धार्मिक क्रियाएं शामिल होती हैं. प्राण प्रतिष्ठा की प्रक्रिया है.
मूर्तियों का निर्माण: प्राण प्रतिष्ठा के लिए सबसे पहले मूर्तियों का निर्माण किया जाता है. मूर्तियों का निर्माण किसी योग्य शिल्पकार द्वारा किया जाता है. मूर्तियों को बनाने में लकड़ी, पत्थर, या अन्य सामग्री का उपयोग किया जा सकता है.
मूर्तियों की शुद्धि: मूर्तियों का निर्माण करने के बाद उन्हें शुद्ध किया जाता है. मूर्तियों को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और उन पर मंत्रों का जाप किया जाता है. इससे मूर्तियों से सभी अशुद्धियां दूर हो जाती हैं.
मूर्तियों में प्राण का प्रवेश: मूर्तियों को शुद्ध करने के बाद उनमें प्राण का प्रवेश किया जाता है. प्राण का प्रवेश करने के लिए मंत्रों का जाप किया जाता है और मूर्तियों में कुछ पवित्र सामग्री डाली जाती है. इससे मूर्तियों में शक्ति और ऊर्जा आ जाती है.
मूर्तियों का अभिषेक: प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियों का अभिषेक किया जाता है. अभिषेक में मूर्तियों को पवित्र जल से स्नान कराया जाता है और उन पर पुष्प, फल, और अन्य पवित्र सामग्री अर्पित की जाती है.
मूर्तियों का पूजन: अभिषेक के बाद मूर्तियों का विधिवत पूजन किया जाता है. पूजन में मंत्रों का जाप किया जाता है और मूर्तियों को प्रसाद अर्पित किया जाता है.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए आवश्यक सामग्री:
प्राण प्रतिष्ठा के लिए सामग्री आवश्यक होती है
- मूर्तियां
- पवित्र जल
- पवित्र सामग्री (जैसे, चावल, फूल, फल, आदि)
- मंत्र
- मंत्रोच्चार करने वाले पंडित
प्राण प्रतिष्ठा के महत्व:
प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म में एक महत्वपूर्ण अनुष्ठान है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियों में देवता का वास होता है. इससे भक्तों का आस्था और श्रद्धा बढ़ती है.
राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा हिंदू धर्म के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है. प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला मंदिर में विधिवत पूजा–अर्चना शुरू हो जाएगी. इससे हिंदू धर्म के अनुयायियों में आस्था और श्रद्धा बढ़ेगी.
प्राण प्रतिष्ठा के प्रकार:
प्राण प्रतिष्ठा के दो मुख्य प्रकार हैं
पूर्ण प्राण प्रतिष्ठा: इस प्रकार की प्राण प्रतिष्ठा में मूर्तियों में प्राण का पूर्ण रूप से प्रवेश होता है.
अर्ध प्राण प्रतिष्ठा: इस प्रकार की प्राण प्रतिष्ठा में मूर्तियों में प्राण का आंशिक रूप से प्रवेश होता है.
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा
अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होने जा रही है. इस प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष रूप से मूर्तियों का निर्माण किया गया है. मूर्तियों का निर्माण लकड़ी से किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए पूरे देश से भक्तजन अयोध्या पहुंच रहे हैं.
प्राण प्रतिष्ठा से जुड़ी कुछ महत्वपूर्ण बातें:
प्राण प्रतिष्ठा एक पवित्र अनुष्ठान है. इसलिए, इस अनुष्ठान को किसी योग्य पंडित द्वारा ही करवाना चाहिए.
प्राण प्रतिष्ठा के दौरान भक्तों को शांति और भक्तिभाव से रहना चाहिए.
प्राण प्रतिष्ठा के बाद मूर्तियों का नियमित रूप से पूजन करना चाहिए.
राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का आमंत्रण :
भारत के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री
सभी राज्यों के मुख्यमंत्री
सभी प्रमुख राजनीतिक दल के नेता
विश्व हिंदू परिषद और राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के सदस्य
अयोध्या के स्थानीय अधिकारी और निवासी
प्राण प्रतिष्ठा में शामिल होने वाले लोग :
विश्व हिंदू परिषद के अध्यक्ष आलोक कुमार
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय
अयोध्या के जिलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक
अयोध्या के स्थानीय मंदिरों और मठों के प्रमुख
प्राण प्रतिष्ठा की तैयारियां:
प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में व्यापक तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए विशेष मूर्तियों का निर्माण किया गया है. प्राण प्रतिष्ठा के लिए देशभर से श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.
राम मंदिर प्राण–प्रतिष्ठा: प्रसाद में मिलेगी राम जन्मभूमि की मिट्टी
अयोध्या में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा 22 जनवरी, 2024 को होने जा रही है. इस भव्य समारोह में शामिल होने वाले मेहमानों को प्रसाद के रूप में राम जन्मभूमि की मिट्टी दी जाएगी.
राम जन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट के महासचिव चंपत राय ने बताया कि प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में विशेष मूर्तियों का निर्माण किया गया है. इन मूर्तियों को बनाने के लिए राम जन्मभूमि की मिट्टी का उपयोग किया गया है.
चंपत राय ने कहा कि प्राण प्रतिष्ठा के बाद रामलला मंदिर में विधिवत पूजा–अर्चना शुरू हो जाएगी. इस अवसर पर शामिल होने वाले सभी मेहमानों को प्रसाद के रूप में राम जन्मभूमि की मिट्टी दी जाएगी.
उन्होंने कहा कि राम जन्मभूमि की मिट्टी को प्रसाद के रूप में देना एक विशेष परंपरा है. ऐसा माना जाता है कि इस मिट्टी में भगवान राम का आशीर्वाद होता है.
प्राण प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में तैयारियां की जा रही हैं. मंदिर परिसर को भव्य रूप से सजाया जा रहा है. देशभर से लाखों श्रद्धालुओं के आने की उम्मीद है.